नई दिल्ली। भाजपा को नया अध्यक्ष संसद के मानसून सत्र से पहले मिल सकता है। संसद का सत्र 21 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए 37 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से कम से कम 19 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव अनिवार्य है। अभी तक 14 प्रदेशों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके हैं। इसलिए माना जा रहा है कि जुलाई के पहले मध्यप्रदेश सहित उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सहित करीब एक दर्जन प्रदेशों में भी प्रदेश भाजपा अध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा। भाजपा के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है। इस मंडल में राष्ट्रीय और राज्य परिषद में शामिल नेता होते हैं। जिन प्रदेशों के भाजपा अध्यक्ष निर्वाचित नहीं हुए हैं, उनकी भागीदारी निर्वाचक मंडल में करीब पचास प्रतिशत है। इस क्रम में राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी डॉ के लक्ष्मण ने केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, किरेन रिजिजू और सांसद रविशंकर प्रसाद को क्रमश: उत्तराखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है।
भाजपा संगठन स्तर पर सबसे मजबूत और सक्रिय पार्टी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद संगठन को और अधिक नया रूप दिया जा सकता है। इसके लिए आधे से अधिक राष्ट्रीय पदाधिकारी बदले जा सकते हैं। इस अनुमान का आधार समाज के सभी वर्गों और युवाओं तथा महिलाओं को प्रतिनिधित्व की भाजपा की सोच है। यदि यह होता है तो भाजपा के शक्तिशाली संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। भाजपा के फैसले अनुमानों से बाहर भी होते रहे हैं। लेकिन एक अनुमान यह भी है कि भाजपा अपना नया अध्यक्ष दक्षिण भारत अथवा दलित वर्ग से भी ला सकता है। हालांकि इस संबंध में भाजपा की ओर से कोई संकेत नहीं मिले हैं।

